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Kubera Movie Review: धनुष और नागार्जुन की दमदार अदाकारी से सजी सामाजिक थ्रिलर

Kubera Movie Review: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता धनुष और चर्चित निर्देशक शेखर कम्मुला की पहली बार साथ में बनी फिल्म ‘कुबेरा’ आज सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई। इस राजनीतिक-थ्रिलर ड्रामा में धनुष के साथ-साथ नागार्जुन, रश्मिका मंदाना, जिम सर्भ, सायाजी शिंदे और दिलीप ताहिल जैसे दिग्गज कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में नजर आए।

Kubera Movie Review
Kubera Movie Review


फिल्म को 123telugu.com द्वारा 3.5/5 की रेटिंग दी गई है, और इसे यथार्थपरक कहानी, भावनात्मक गहराई और बेहतरीन अभिनय का संगम बताया गया है।


कहानी का सार:

‘कुबेरा’ की कहानी एक गहरे राजनीतिक षड्यंत्र और मानवीय संवेदनाओं के टकराव को दर्शाती है। कहानी शुरू होती है नीरज मित्रा (जिम सर्भ) से, जो बंगाल की खाड़ी में पाए गए तेल भंडार को राजनीतिक सत्ता में बदलने की साजिश रचता है। इसके लिए वह पूर्व CBI अधिकारी दीपक (नागार्जुन) की मदद लेता है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने के कारण जेल में बंद है।

दीपक, मजबूरी में, देशभर के गरीब और बेघर लोगों को मिशन में शामिल करता है, जिसमें एक मासूम भिखारी देवा (धनुष) भी शामिल होता है। जब देवा को इस साजिश की सच्चाई का पता चलता है, तो वह भाग जाता है और उसके पीछे एक राजनीतिक शिकार शुरू हो जाता है। इस दौरान उसकी मुलाकात होती है समीरा (रश्मिका मंदाना) से, जो उसकी यात्रा को एक नया मोड़ देती है।


मुख्य आकर्षण:

धनुष ने देवा के किरदार को बेहद सहजता और गहराई से निभाया है। उनका अभिनय इस फिल्म की जान है।

नागार्जुन ने एक ग्रे शेड वाले किरदार में नैतिक द्वंद्व को बखूबी पेश किया है।

जिम सर्भ कम स्क्रीन टाइम में भी प्रभाव छोड़ते हैं, वहीं रश्मिका की उपस्थिति फिल्म में संतुलन बनाए रखती है।

फिल्म का क्लाइमेक्स दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है और एक सशक्त संदेश के साथ खत्म होता है।


तकनीकी पक्ष:

निर्देशक शेखर कम्मुला ने इस बार अपने पारंपरिक शैली से हटकर सामाजिक यथार्थ को थ्रिलर के साथ जोड़ा है।

देवी श्री प्रसाद का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की भावनात्मक गहराई को और निखारता है, जबकि

निकेत बोम्मिरेड्डी की सिनेमैटोग्राफी वाकई काबिल-ए-तारीफ है।

एडिटिंग थोड़ी कसावदार होती तो फिल्म की गति और बेहतर हो सकती थी।


नकारात्मक पक्ष:

फिल्म का पहला हिस्सा कुछ धीमा और खिंचा हुआ महसूस होता है।

कुछ सीन दोहराव वाले हैं और भावनात्मक रिश्तों को और गहराई से दिखाया जा सकता था।

रश्मिका मंदाना का किरदार सीमित दायरे में ही रह जाता है।


निष्कर्ष:

‘कुबेरा’ एक विचारोत्तेजक, भावनात्मक और यथार्थ से जुड़ी फिल्म है, जो वर्तमान समाज की राजनीतिक लालच और मानवीय मूल्यों के संघर्ष को बारीकी से दर्शाती है। यदि आप संजीदा विषयों पर आधारित सिनेमा देखना पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी।

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